Supreme Court’s big decision for teachers: इंचार्ज हेडमास्टर्स को अब हेडमास्टर जैसी सैलरी और 10 साल का पूरा एरियर





Supreme Court’s big decision for teachers: इंचार्ज हेडमास्टर्स को अब हेडमास्टर जैसी सैलरी और 10 साल का पूरा एरियर

उत्तर प्रदेश के बेसिक शिक्षा विभाग में इंचार्ज हेडमास्टर के तौर पर काम करने वाले शिक्षकों के लिए सुप्रीम कोर्ट ने एक शानदार फैसला सुनाया है। 13 अगस्त 2025 को कोर्ट ने आदेश दिया कि इंचार्ज हेडमास्टर्स को अब हेडमास्टर के बराबर सैलरी मिलेगी, और साथ ही पिछले 10 साल का बकाया (एरियर) भी दिया जाएगा। इस खबर से शिक्षकों में खुशी की लहर दौड़ गई है। आइए, आम बोलचाल की भाषा में समझते हैं कि ये माजरा क्या है और इसका शिक्षकों को क्या फायदा होगा।

सुप्रीम कोर्ट ने क्या कहा?

सुप्रीम कोर्ट ने 13 अगस्त 2025 को उत्तर प्रदेश सरकार की उस अर्ज़ी को ठुकरा दिया, जिसमें उसने इलाहाबाद हाईकोर्ट के फैसले को चुनौती दी थी। हाईकोर्ट ने पहले ही कह रखा था कि प्राइमरी स्कूलों में इंचार्ज हेडमास्टर की जिम्मेदारी निभाने वाले सहायक शिक्षकों को हेडमास्टर जितनी सैलरी मिलनी चाहिए। सुप्रीम कोर्ट ने भी इस बात पर मुहर लगा दी और कहा कि अगर कोई शिक्षक हेडमास्टर का काम कर रहा है, तो उसे उसी लेवल की सैलरी मिलना ज़रूरी है।

इसके अलावा, कोर्ट ने ये भी हुकम दिया कि 31 मार्च 2024 से शिक्षकों को उनका बकाया पैसा दिया जाए। यानी, पिछले 10 साल से जो शिक्षक इंचार्ज हेडमास्टर की ड्यूटी कर रहे हैं, उन्हें अब न सिर्फ पूरी सैलरी मिलेगी, बल्कि पहले की कम सैलरी का बकाया भी ब्याज समेत मिलेगा।

ये फैसला क्यों लिया गया?

उत्तर प्रदेश के प्राइमरी स्कूलों में कई सालों से सहायक शिक्षकों को इंचार्ज हेडमास्टर बनाकर हेडमास्टर का पूरा काम लिया जा रहा था। खासकर उन स्कूलों में, जहां 150 से कम बच्चे हैं, वहां हेडमास्टर के पद खत्म कर दिए गए थे। इन स्कूलों में सहायक शिक्षकों को इंचार्ज बनाया गया, लेकिन सैलरी वही पुरानी, यानी सहायक शिक्षक वाली। ये शिक्षकों के साथ नाइन्साफी थी, क्योंकि वो ज़्यादा ज़िम्मेदारी उठा रहे थे, लेकिन पैसे कम मिल रहे थे।

शिक्षकों ने इस बात को लेकर इलाहाबाद हाईकोर्ट में केस दायर किया। 30 अप्रैल 2025 को हाईकोर्ट ने साफ कहा कि अगर काम हेडमास्टर का है, तो सैलरी भी उसी लेवल की मिलनी चाहिए। उत्तर प्रदेश सरकार ने इस फैसले के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में याचिका डाली, लेकिन सुप्रीम कोर्ट ने सरकार की बात खारिज कर दी और हाईकोर्ट के फैसले को सही ठहराया।

अब क्या बदलेगा?

  • सैलरी में इज़ाफा: अब इंचार्ज हेडमास्टर्स को हेडमास्टर जितनी सैलरी मिलेगी। जैसे, प्राइमरी स्कूलों में हेडमास्टर की ग्रेड पे 4,600 रुपये है, तो इंचार्ज शिक्षकों को भी यही मिलेगा, जो पहले 4,200 रुपये मिलता था। अपर प्राइमरी स्कूलों में ये 4,800 रुपये होगी।
  • 10 साल का बकाया: कोर्ट ने कहा है कि 31 मार्च 2024 से बकाया राशि दी जाए। यानी, पिछले 10 साल की जो सैलरी कम मिली, वो अब ब्याज के साथ वापस मिलेगी।
  • कहां लागू नहीं होगा?: जिन स्कूलों में 25 से कम बच्चे हैं, वहां न हेडमास्टर का पद होगा, न ही इंचार्ज शिक्षकों को ये फायदा मिलेगा।

शिक्षकों के लिए ये फैसला क्यों अहम है?

ये फैसला शिक्षकों के लिए किसी जीत से कम नहीं है। ये न सिर्फ उनके हक की बात को सुनिश्चित करता है, बल्कि शिक्षा व्यवस्था को भी मज़बूत करता है। अब इंचार्ज हेडमास्टर्स पूरे जोश के साथ काम करेंगे, क्योंकि उन्हें उनके काम का सही दाम मिलेगा। साथ ही, जो शिक्षक सालों से कम सैलरी में काम कर रहे थे, उन्हें बकाया मिलने से आर्थिक तंगी से भी राहत मिलेगी। ये फैसला ‘एक काम, एक वेतन’ के उसूल को और पक्का करता है।

अब आगे क्या होगा?

सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बाद उत्तर प्रदेश सरकार को हाईकोर्ट के निर्देश मानने होंगे। जल्द ही इंचार्ज हेडमास्टर्स को बढ़ी हुई सैलरी और बकाया मिलना शुरू हो जाएगा। जिन शिक्षकों ने केस लड़ा था, उन्हें तो ये फायदा तुरंत मिलेगा। बाकी शिक्षकों को अपने जिला बेसिक शिक्षा अधिकारी (BSA) के पास ज़रूरी कागज़ात जमा करने होंगे, ताकि उनकी सैलरी और बकाया तय हो सके।

शिक्षकों में जश्न का माहौल

इस फैसले के बाद शिक्षक संगठन और इंचार्ज हेडमास्टर्स में जबरदस्त खुशी है। सोशल मीडिया पर लोग इसे बड़ा और ऐतिहासिक फैसला बता रहे हैं। शिक्षक नेताओं का कहना है कि ये उनकी लंबी कानूनी लड़ाई और मेहनत का नतीजा है।

अगर आप उत्तर प्रदेश के बेसिक शिक्षा विभाग में इंचार्ज हेडमास्टर हैं, तो ये खबर आपके लिए किसी तोहफे से कम नहीं। अपनी बढ़ी हुई सैलरी और बकाया राशि के लिए तैयार हो जाइए!

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